aṣṭādhyāyī
पाणिनीविरचिता
20190930
3.4.76 क्तो अधिकरणे च ध्रौव्यगतिप्रत्यवसानर्थेभ्यः
In the sense of stability (ध्रौव्य ), motion or अभ्यवहार , क्त takes place for both अधिकरण and कर्त्ता-कर्म -भाव.
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