aṣṭādhyāyī
पाणिनीविरचिता
20141103
1.4.87 अपपरीवर्जने
अप परि in the sense of वर्जन (restriction) is कर्मप्रवचनीय and निपात. For example, अपत्रिकर्तेभ्यो वृष्टो देवः (rained except in त्रिगर्त).
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